रक्त (Blood)
लाल रक्त कणिका श्वसन अंगों से आक्सीजन ले कर सारे शरीर में पहुंचाने का और कार्बन डाईआक्साईड को शरीर से श्वसन अंगों तक ले जाने का काम करता है। इनकी कमी से रक्ताल्पता (अनिमिया) का रोग हो जाता है। श्वैत रक्त कणिका हानीकारक तत्वों तथा बिमारी पैदा करने वाले जिवाणुओं से शरीर की रक्षा करते हैं। प्लेटलेट्स रक्त वाहिनियों की सुरक्षा तथा खून बनाने में सहायक होते हैं।मनुष्य-शरीर में करीब पाँच लिटर रक्त विद्यमान रहता है। लाल रक्त कणिका की आयु कुछ दिनों से लेकर १२० दिनों तक की होती है। इसके बाद इसकी कोशिकाएं तिल्ली में टूटती रहती हैं। परन्तु इसके साथ-साथ अस्थि मज्जा (बोन मैरो) में इसका उत्पादन भी होता रहता है। यह बनने और टूटने की क्रिया एक निश्चित अनुपात में होती रहती है, जिससे शरीर में खून की कमी नहीं हो पाती।मनुष्यों में रक्त ही सबसे आसानी से प्रत्यारोपित किया जा सकता है। एटीजंस से रक्त को विभिन्न वर्गों में बांटा गया है और रक्तदान करते समय इसी का ध्यान रखा जाता है। महत्वपूर्ण एटीजंस को दो भागों में बांटा गया है। पहला ए, बी, ओ तथा दुसरा आर-एच व एच-आर। जिन लोगों का रक्त जिस एटीजंस वाला होता है उसे उसी एटीजंस वाला रक्त देते हैं। जिन पर कोई एटीजंस नही होता उनका ग्रुप "ओ" कहलाता है। जिनके रक्त कण पर आर-एच एटीजंस पाया जाता है वे आर-एच पाजिटिव और जिनपर नहीं पाया जाता वे आर-एच नेगेटिव कहलाते हैं। ओ-वर्ग वाले व्यक्ति को सर्वदाता तथा एबी वाले को सर्वग्राही कहा जाता है। परन्तु एबी रक्त वाले को एबी रक्त ही दिया जाता है। जहां स्वस्थ व्यक्ति का रक्त किसी की जान बचा सकता है, वहीं रोगी, अस्वस्थ व्यक्ति का खून किसी के लिये जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसीलिए खून लेने-देने में बहुत सावधानी की आवश्यकता होती है।कार्य· ऊतकों को आक्सीजन पहुँचाना।· पोषक तत्वों को ले जाना जैसे ग्लूकोस, अमीनो अम्ल और वसा अम्ल (रक्त में घुलना या प्लाज्मा प्रोटीन से जुडना जैसे- रक्त लिपिड)।· उत्सर्जी पदार्थों को बाहर करना जैसे- यूरिया कार्बन, डाई आक्साइड, लैक्टिक अम्ल आदि।· संदेशवाहक का कार्य करना, इसके अन्तर्गत हार्मोन्स आदि के संदेश देना।· शरीर पी. एच नियंत्रित करना, शरीर का ताप नियंत्रित करना एवं प्रतिरक्षात्मक कार्य।· शरीर के एक अंग से दूसरे अंग तक जल का वितरण रक्त द्वारा ही सम्पन होता है।रक्त के प्रकार1- कोशिका अंश (45%)a) Erythrocytes (RBCs)

रक्त समूह परीक्षण-शारीरिक मानवविज्ञान प्रयोगशाला में रक्त समूह का परीक्षण किया जाता है। रक्त समूह का परीक्षण करने में विभिन्न उपकरणों की आवश्यकता होती है जो निम्न हैं-I) सुईII) एल्कोहल
III) स्लाइड (3)IV) A, B एवं D एंटी सिरा
V) रुईरक्त समूह परीक्षण के चरण-1. सबसे पहले सबजेक्ट के एक उँगली को रुई में एल्कोहल लगाकर साफ करते है।
2. इसके बाद साफ किए गए उँगली के अग्र सिरे पर सुई को चुभोते हैं जिससे रक्त की कुछ बूंदें प्राप्त हो सके।3. जब रक्त उँगली से निकलने लगता है उसे तीन अलग अलग स्लाइडों पर रक्त की कुछ बुँदे गिरते हैं।
4. इसके तुरंत बाद क्रमशः तीनों स्लाइडों पर एंटी सिरा A, B एवं D गिराते हैं और तीनों स्लाइडों को बारी बारी हल्के हाथों से हीलाते है।
5. इसके बाद हम देखते है कि किन-किन स्लाइडों में रक्त क्लाट किया है, जिसका परीक्षण निम्न आधार पर करके सबजेक्ट का रक्त समूह का पता लागते है।
6. जिस-जिस स्लाइड में रक्त क्लाट किया होगा, वह धनात्मक क्रिया का सूचक होगा।7. यदि रक्त समूह-A होगा तो जिस स्लाइड में एंटी सिरा-A डाला गया होगा उसमें रक्त क्लाट होगा, इसी प्रकार यदि रक्त समूह-B होगा तो जिस स्लाइड में एंटी सिरा-B डाला गया होगा उसमें रक्त क्लाट होगा और यदि रक्त समूह-AB होगा तो दोनों एंटी सिरा डालने पर रक्त क्लाट होगा तथा यदि रक्त समूह-O होगा तो दोनों एंटी सिरा डालने पर रक्त क्लाट नहीं होगा।8. जहां तक धनात्मक और ऋणात्मक रक्त समूह कि बात है वो सिर्फ Rh कि उपस्थिति पर निर्भर करता है। इसका पता एंटी सिरा-D डालने पर होता है यदि रक्त क्लाट होगा तो धनात्मक और यदि रक्त क्लाट नहीं हुआ तो ऋणात्मक होगा।
रक्त समूह का वितरण-विभिन्न
देशों में ABO और Rh का वितरण निम्नलिखित है।–
रक्त समूह B की
उच्चतम आवृति उत्तरी भारत और इसके पडौसी मध्य भारत में पायी जाती है, तथा
पश्चिम व पूर्व की और इसकी आवृति कम है। और स्पेन में इसकी आवृति केवल 1 अंक की
प्रतिशतता तक गिर जाती है। ऐसा माना जाता है मूल अमेरिकी और ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी
जनसंख्या में, इन क्षेत्रों में यूरोपीय लोगों के आने से पहले, यह
पूर्ण रूप से अनुपस्थित था।
रक्त समूह A की आवृति यूरोप में अधिक पायी जाती है, विशेष रूप से स्केनडीनेविया और मध्य यूरोप में, यद्यपि इसकी उच्चतम आवृति कुछ ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी आबादियों और मोंटाना के ब्लैक फुट भारतीयों में पायी जाती है।
देश
|
O+
|
A+ B+
AB+ O A B AB
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ऑस्ट्रेलिया[
|
40%
|
31% 8% 2% 9% 7% 2% 1%
|
ब्राजील
|
36%
|
34% 8% 2.5% 9% 8% 2% 0.5%
|
फ्रांस
|
36%
|
37% 9% 3% 6% 7% 1% 1%
|
जर्मनी
|
35%
|
37% 9% 4% 6% 6% 2% 1%
|
चीन
|
40%
|
26% 27% 7% 0.31% 0.19% 0.14% 0.05%
|
भारत
|
36.5%
|
22.1% 30.9% 6.4% 2.0% 0.8% 1.1% 0.2
%
|
सऊदी
अरब
|
48%
|
24% 17% 4% 4% 2% 1% 0.23%
|
स्पेन
|
36%
|
34% 8% 2.5% 9% 8% 2% 0.5%
|
ब्रिटेन
|
37%
|
35% 8% 3% 7% 7% 2% 1%
|
संयुक्त
राज्य अमेरिका
|
37.4%
|
35.7%
8.5% 3.4% 6.6% 6.3% 1.5% 0.6%
|
रक्त समूह A की आवृति यूरोप में अधिक पायी जाती है, विशेष रूप से स्केनडीनेविया और मध्य यूरोप में, यद्यपि इसकी उच्चतम आवृति कुछ ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी आबादियों और मोंटाना के ब्लैक फुट भारतीयों में पायी जाती है।