Saturday, 12 September 2015

रक्त (Blood)

रक्त (Blood)
रक्त एक शारीरिक तरल (द्रव) है जो रक्त वाहिनियों के अन्दर विभिन्न अंगों में लगातार बहता रहता है। रक्त वाहिनियों में प्रवाहित होने वाला यह गाढ़ा, कुछ चिपचिपा, लाल रंग का द्रव्य, एक जीवित ऊतक है। यह प्लाज़मा और रक्त कणों से मिल कर बनता है। प्लाज़मा वह निर्जीव तरल माध्यम है जिसमें रक्त कण तैरते रहते हैं। प्लाज़मा के सहारे ही ये कण सारे शरीर में पहुंच पाते हैं और वह प्लाज़मा ही है जो आंतों से शोषित पोषक तत्वों को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाता है और पाचन क्रिया के बाद बने हानीकारक पदार्थों को उत्सर्जी अंगो तक ले जा कर उन्हें फिर साफ़ होने का मौका देता है। रक्तकण तीन प्रकार के होते हैं, लाल रक्त कणिका, श्वेत रक्त कणिका और प्लैटलैट्स।
लाल रक्त कणिका श्वसन अंगों से आक्सीजन ले कर सारे शरीर में पहुंचाने का और कार्बन डाईआक्साईड को शरीर से श्वसन अंगों तक ले जाने का काम करता है। इनकी कमी से रक्ताल्पता (अनिमिया) का रोग हो जाता है। श्वैत रक्त कणिका हानीकारक तत्वों तथा बिमारी पैदा करने वाले जिवाणुओं से शरीर की रक्षा करते हैं। प्लेटलेट्स रक्त वाहिनियों की सुरक्षा तथा खून बनाने में सहायक होते हैं।मनुष्य-शरीर में करीब पाँच लिटर रक्त विद्यमान रहता है। लाल रक्त कणिका की आयु कुछ दिनों से लेकर १२० दिनों तक की होती है। इसके बाद इसकी कोशिकाएं तिल्ली में टूटती रहती हैं। परन्तु इसके साथ-साथ अस्थि मज्जा (बोन मैरो) में इसका उत्पादन भी होता रहता है। यह बनने और टूटने की क्रिया एक निश्चित अनुपात में होती रहती है, जिससे शरीर में खून की कमी नहीं हो पाती।मनुष्यों में रक्त ही सबसे आसानी से प्रत्यारोपित किया जा सकता है। एटीजंस से रक्त को विभिन्न वर्गों में बांटा गया है और रक्तदान करते समय इसी का ध्यान रखा जाता है। महत्वपूर्ण एटीजंस को दो भागों में बांटा गया है। पहला ए, बी, ओ तथा दुसरा आर-एच व एच-आर। जिन लोगों का रक्त जिस एटीजंस वाला होता है उसे उसी एटीजंस वाला रक्त देते हैं। जिन पर कोई एटीजंस नही होता उनका ग्रुप "ओ" कहलाता है। जिनके रक्त कण पर आर-एच एटीजंस पाया जाता है वे आर-एच पाजिटिव और जिनपर नहीं पाया जाता वे आर-एच नेगेटिव कहलाते हैं। ओ-वर्ग वाले व्यक्ति को सर्वदाता तथा एबी वाले को सर्वग्राही कहा जाता है। परन्तु एबी रक्त वाले को एबी रक्त ही दिया जाता है। जहां स्वस्थ व्यक्ति का रक्त किसी की जान बचा सकता है, वहीं रोगी, अस्वस्थ व्यक्ति का खून किसी के लिये जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसीलिए खून लेने-देने में बहुत सावधानी की आवश्यकता होती है।कार्य·      ऊतकों को आक्सीजन पहुँचाना।·      पोषक तत्वों को ले जाना जैसे ग्लूकोस, अमीनो अम्ल और वसा अम्ल (रक्त में घुलना या प्लाज्मा प्रोटीन से जुडना जैसे- रक्त लिपिड)।·      उत्सर्जी पदार्थों को बाहर करना जैसे- यूरिया कार्बन, डाई आक्साइड, लैक्टिक अम्ल आदि।·      संदेशवाहक का कार्य करना, इसके अन्तर्गत हार्मोन्स आदि के संदेश देना।·      शरीर पी. एच नियंत्रित करना, शरीर का ताप नियंत्रित करना एवं प्रतिरक्षात्मक कार्य।·      शरीर के एक अंग से दूसरे अंग तक जल का वितरण रक्त द्वारा ही सम्पन होता है।रक्त के प्रकार1-     कोशिका अंश (45%)a)    Erythrocytes (RBCs)
b)    Leucocytes (WBCs)
i)      Granulocyte (67.5%)
·      Nutrilophil (65%)
·      Eocinophil (2%)
·      Besophil (0.5%)
ii)               Lymphocytes (27.5%)
iii)            Monocytes (5%)
c)    Thrombocytes (platlets)
2-     प्लाज्मा अंश (55%)i)                  जल(92%)ii)               अकार्बनिक घटक (0.9%) –Na, K,Ca,Mg,Cu,Fe etc.)
iii)            कार्बनिक घटक ( प्रोटीन-7.5%, अप्रोटीन, वसा, एंजाइम, प्रतिरक्षी, वर्णक, हारमोन इत्यादि)रक्त समूह की खोज          सर्वप्रथम Karl landsteiner तथा उसके साथियों ने 1900 में Viena के चिकित्सा महाविद्यालय की प्रयोगशाला में कार्य करते हुए देखा की उनके कुछ साथियों का रक्त कुछ अन्य साथियों के Serum द्वारा क्रिया कर समूहन या Agulutination दर्शाता है, 1901 में इनका विस्तृत विवरण प्रकाशित हुआ. 'Antigen-Antibody Agulutination' प्रतिक्रिया के आधार पर उन्होंने मानव समूहों को आरम्भ में तीन प्रकार के रक्त वर्गों या रक्त समूहों में विभक्त किया A, B तथा O चौथे प्रकार के रक्त समूह AB की खोज 1902 में उनके साथी Von DecatelloSturli ने की।  इन चार प्रकार के रक्त समूहों की व्याख्या मात्र दो Antigen A तथा Antigen B के आधार पर की जाती है किसी भी व्यक्ति के रक्त की कोशिकाओं में ये दोनों Antigen उपस्थित अथवा अनुपस्थित हो सकते है या इनमे से कोई एक उपस्थित हो सकता है चूँकि रक्त समूह की यह सर्वप्रथम खोज थी। अतः स्वाभाविक रूप से इसका नामकरण अंग्रेजी वर्णमाला के प्रथम के दो वर्णाक्षरो A तथा से किया गया O वास्तव में A तथा B की अनुपस्थिति अर्थात शुन्य का द्योतक है।


रक्त समूह परीक्षण-शारीरिक मानवविज्ञान प्रयोगशाला में रक्त समूह का परीक्षण किया जाता है। रक्त समूह का परीक्षण करने में विभिन्न उपकरणों की  आवश्यकता होती है जो निम्न हैं-I)                सुईII)            एल्कोहल
III)        स्लाइड (3)IV)        A, B एवं D एंटी सिरा
V)            रुईरक्त समूह परीक्षण के चरण-1.    सबसे पहले सबजेक्ट के एक उँगली को रुई में एल्कोहल लगाकर साफ करते है।
2.    इसके बाद साफ किए गए उँगली के अग्र सिरे पर सुई को चुभोते हैं जिससे रक्त की कुछ बूंदें प्राप्त हो सके।3.    जब रक्त उँगली से निकलने लगता है उसे तीन अलग अलग स्लाइडों पर रक्त की कुछ बुँदे गिरते हैं।
4.    इसके तुरंत बाद क्रमशः तीनों स्लाइडों पर एंटी सिरा A, B एवं D गिराते हैं और तीनों स्लाइडों को बारी बारी हल्के हाथों से हीलाते है।
5.    इसके बाद हम देखते है कि किन-किन स्लाइडों में रक्त क्लाट किया है, जिसका परीक्षण निम्न आधार पर करके सबजेक्ट का रक्त समूह का  पता लागते है।
6.    जिस-जिस स्लाइड में रक्त क्लाट किया होगा, वह धनात्मक क्रिया का सूचक होगा।7.    यदि रक्त समूह-A होगा तो जिस स्लाइड में एंटी सिरा-A डाला गया होगा उसमें रक्त क्लाट होगा, इसी प्रकार यदि रक्त समूह-B होगा तो जिस स्लाइड में एंटी सिरा-B डाला गया होगा उसमें रक्त क्लाट होगा और यदि रक्त समूह-AB होगा तो दोनों एंटी सिरा डालने पर रक्त क्लाट होगा तथा यदि रक्त समूह-O होगा तो दोनों एंटी सिरा डालने पर रक्त क्लाट नहीं होगा।8.    जहां तक धनात्मक और ऋणात्मक रक्त समूह कि बात है वो सिर्फ Rh कि उपस्थिति पर निर्भर करता है। इसका पता एंटी सिरा-D डालने पर होता है यदि रक्त क्लाट होगा तो धनात्मक और यदि रक्त क्लाट नहीं हुआ तो ऋणात्मक होगा।
 
















रक्त समूह का वितरण-विभिन्न देशों में ABO और Rh का वितरण निम्नलिखित है।–
   देश
O+
A+   B+   AB+   O     A       B       AB
ऑस्ट्रेलिया[
40%
31%   8%     2%     9%    7%     2%     1%
ब्राजील
36%
34%   8%     2.5%  9%     8%     2%     0.5%
फ्रांस
36%
37%   9%     3%     6%     7%     1%     1%
जर्मनी
35%
37%   9%     4%     6%     6%     2%     1%
चीन
40%
26%     27%     7%       0.31%  0.19%  0.14%  0.05%
भारत
36.5%
22.1%  30.9%  6.4%    2.0%    0.8%    1.1%    0.2 %
सऊदी अरब
48%
24%   17%   4%     4%     2%     1%     0.23%
स्पेन
36%
34%   8%     2.5%  9%     8%     2%     0.5%
ब्रिटेन
37%
35%   8%     3%     7%     7%     2%     1%
संयुक्त राज्य अमेरिका
37.4%
35.7% 8.5%   3.4%    6.6%    6.3%    1.5%    0.6%
           रक्त समूह B की उच्चतम आवृति उत्तरी भारत और इसके पडौसी मध्य भारत में पायी जाती है, तथा पश्चिम व पूर्व की और इसकी आवृति कम है। और स्पेन में इसकी आवृति केवल 1 अंक की प्रतिशतता तक गिर जाती है। ऐसा माना जाता है मूल अमेरिकी और ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी जनसंख्या में, इन क्षेत्रों में यूरोपीय लोगों के आने से पहले, यह पूर्ण रूप से अनुपस्थित था।          

रक्त समूह A की आवृति यूरोप में अधिक पायी जाती है, विशेष रूप से स्केनडीनेविया और मध्य यूरोप में, यद्यपि इसकी उच्चतम आवृति कुछ ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी आबादियों और मोंटाना के ब्लैक फुट भारतीयों में पायी जाती है। 

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